हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,भारत के शहर लखनऊ में स्थित मदरसा जैनबिया में एक विशेष दरस-ए-अख़लाक़ आयोजित किया गया, जिसमें जामेअतुल मुस्तफा के प्रतिनिधि हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन सैयद कमाल हुसैनी ने भाग लेकर विशेष संबोधन किया यह सभा तब हुई जब उन्होंने मदरसा ए जैनबिया का दौरा किया और शिक्षकों के साथ एक बैठक में भी शामिल हुए।
अपने संबोधन में उन्होंने कुरआन में महिलाओं के नमूने के विषय पर बात करते हुए कहा कि आध्यात्मिक और आत्मिक विकास सिर्फ पुरुषों तक सीमित नहीं है बल्कि महिलाएं भी उच्च मुकाम हासिल कर सकती हैं। उन्होंने पवित्र कुरआन में हज़रत मरयम स.अ. और आसिया स.अ.का उल्लेख करते हुए कहा कि ये दोनों महान महिलाएं उम्मत के लिए व्यावहारिक नमूना हैं।
आगे विस्तार से बताते हुए उन्होंने अबुल कासिम कशीरी की एक रिवायत बयान की कि एक दिन हज़रत फिज़ा स.अ. जो हज़रत फातिमा ज़हरा (स.अ.) की ख़ादिमा (सेविका) थीं, रेगिस्तान में काफिले से अलग हो गईं। जब उनसे पूछा गया कि आप कहाँ से आ रही हैं और कहाँ जा रही हैं तो उन्होंने अपने सारे जवाब सीधे कुरआन की आयतों से दिए।
हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन हुसैनी ने कहा कि यह वाक़या इस हकीकत की दलील है कि महिलाएं कुरआन की बरकत से उच्च आध्यात्मिक मुकाम हासिल कर सकती हैं और उनकी सीरत तालिबे इल्म (छात्र-छात्राओं) के लिए नैतिक और आत्मिक नमूना है।
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